मॉडल स्कूल में 36 लाख का घोटाला, प्राचार्य पर लगे घोटाले के गंभीर आरोप
भोपाल से प्रिंसिपल राकेश तोमर को हटाने के आदेश जारी, जांच अधिकारी और ज्वाइंट डायरेक्टर प्रिंसिपल की कार्रवाई में बने रोड़ा!
संवाददाता भरत रावत
डबरा। सांदीपनी शासकीय मॉडल माध्यमिक विद्यालय चांदपुर डबरा में करोड़ों के घोटाले का मामला अब शिक्षा विभाग की साख पर सवाल खड़े कर रहा है। छात्र-छात्राओं के लिए बने नवीन हॉस्टलों की सामग्री क्रय में करीब 40 लाख रुपये की राशि स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल से जारी की गई थी, लेकिन आरोप है कि प्राचार्य राकेश तोमर ने जैम पोर्टल के माध्यम से लगभग 36 लाख रुपये की खरीद में बड़ा बंदरबांट किया। इस पूरे मामले में न केवल प्राचार्य पर गंभीर आरोप लगे हैं, बल्कि ग्वालियर के वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं।
शिकायत करने वाले शिक्षक नवल किशोर श्रीवास्तव ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि उनके आधार कार्ड और ओटीपी का दुरुपयोग कर प्राचार्य ने उनकी आईडी से जैम पोर्टल पर पासवर्ड बनाकर सामग्री की खरीद की। जब उन्होंने जानकारी मांगी तो उन्हें लगातार टालमटोल की गई और धमकाकर प्रधानाध्यापक पद से हटा दिया गया। मामले को छिपाने के लिए उनसे दबाव बनाकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी कराए गए।
इस गंभीर शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ग्वालियर ने जांच समिति तो बना दी, लेकिन जांच की प्रक्रिया इतनी पक्षपातपूर्ण रही कि आरोपों की परतें खोलने के बजाय शिकायतकर्ता को ही समझौते का दबाव झेलना पड़ा। समिति के सदस्यों पर प्राचार्य के साथ मिलकर खानापूर्ति करने और दस्तावेजों की जांच तक न करने का आरोप है। शिक्षक नवल किशोर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर स्पष्ट कहा कि जांच निष्पक्ष न होकर केवल मामले को दबाने का प्रयास है।
भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय ने प्राचार्य राकेश तोमर को पद से हटाने और निष्पक्ष जांच कराने के स्पष्ट निर्देश जारी किए, ताकि जांच प्रभावित न हो। लेकिन हैरानी की बात है कि ग्वालियर के जिम्मेदार अधिकारी इन आदेशों को नजरअंदाज कर बैठे हैं। न केवल प्राचार्य को पद से नहीं हटाया गया, बल्कि खुलेआम उनके बचाव में वरिष्ठ अधिकारी खड़े नजर आए।
इस लापरवाही ने पूरे शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों भोपाल से आए आदेशों के बाद भी ग्वालियर स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई? क्या अधिकारी और प्राचार्य के बीच सांठगांठ के चलते करोड़ों का घोटाला दबा दिया गया है?
डबरा का यह मामला सिर्फ एक शिक्षक की उत्पीड़ना या एक स्कूल तक सीमित नहीं है। सांदीपनी स्कूल में इससे पहले भी कई शिक्षकों ने प्राचार्य के खिलाफ शिकायतें कीं, लेकिन हर बार अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। नतीजा यह है कि ग्वालियर में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों पर अब यह आरोप जोर पकड़ रहा है कि वे नियमों और आदेशों की बजाय अपने हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
शिक्षा विभाग में फैली यह उदासीना रवैया और भ्रष्टाचार की परतें अब साफ दिखने लगी हैं। सवाल यह है कि जब भोपाल स्तर से स्पष्ट आदेश दिए जा चुके हैं, तब भी ग्वालियर में बैठे वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? कहीं यह पूरा मामला सिर्फ नजराने और साठगांठ के सहारे तो दबाया नहीं जा रहा?
सांदीपनी शासकीय मॉडल स्कूल चांदपुर डबरा में 36 लाख रुपये के कथित घोटाले ने पूरे शिक्षा विभाग को हिलाकर रख दिया है। प्राचार्य राकेश सिंह तोमर पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने जैम पोर्टल के माध्यम से शिक्षक की आईडी का दुरुपयोग कर करोड़ों की सामग्री खरीदी और पूरे मामले को दबाने की कोशिश की।
भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा था कि जांच प्रभावित न हो, इसलिए प्राचार्य राकेश तोमर को पद से हटाया जाए। लेकिन ग्वालियर स्तर पर बैठे वरिष्ठ अधिकारी अब तक कार्रवाई करने से बच रहे हैं। खासतौर पर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर अरविंद सिंह पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों वे आरोपों के घेरे में आए प्राचार्य को बचाने में लगे हुए हैं।
मीडिया द्वारा पूछे गए सीधे सवालों से बचना, जांच में ढिलाई और आदेशों की अनदेखी इस बात का संकेत देते हैं कि कहीं न कहीं पूरी कहानी में अधिकारी और प्राचार्य की मिलीभगत छिपी हुई है। सवाल यह है कि जब भोपाल से हटाने के आदेश साफ-साफ दिए जा चुके हैं, तब भी ग्वालियर में बैठे संयुक्त संचालक अरविंद सिंह कार्रवाई से पीछे क्यों हट रहे हैं?


















